कुछ घंटे इटावा के सैफई में रुका जिसमें वहां के ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान को भी देखा। अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित यह आयुर्विज्ञान संस्थान ग्रामीणों के लिए काफी लाभकारी है, किंतु वर्तमान में यह चिकित्सकों की कमी, दवा के अभाव, संसाधनों की कमी के अलावा मौलिक सुविधाओं के घोर अभाव का कारक बना हुआ है।
यहां दलालों का वर्चस्व भी चरम पर है जो डॉक्टर से मरीज को रेफर कराकर निजी अस्पतालों को सौंप देते हैं।
इसके अलावा और भी तमाम समस्याएं हैं।
प्रदेश के सीएम श्री आदित्यनाथ योगी जी को सलाह देना चाहूँगा कि यह दुश्मन का हॉस्पिटल नहीं है।
जनता के पैसे से बना है।
पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा निर्मित किसी भी संस्थान में यदि घोटाला और धन का अपव्यय हुआ है तो उसकी जांच करा कर कार्यवाही करनी चाहिए किंतु संस्थान की उपेक्षा ठीक नहीं है।
यह सैफई का पीजीआई जनता का है, जनता के पैसे से बना है तथा जनता के लिए है।
उपेक्षा क्यों?
यहां दलालों का वर्चस्व भी चरम पर है जो डॉक्टर से मरीज को रेफर कराकर निजी अस्पतालों को सौंप देते हैं।
इसके अलावा और भी तमाम समस्याएं हैं।
प्रदेश के सीएम श्री आदित्यनाथ योगी जी को सलाह देना चाहूँगा कि यह दुश्मन का हॉस्पिटल नहीं है।
जनता के पैसे से बना है।
पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा निर्मित किसी भी संस्थान में यदि घोटाला और धन का अपव्यय हुआ है तो उसकी जांच करा कर कार्यवाही करनी चाहिए किंतु संस्थान की उपेक्षा ठीक नहीं है।
यह सैफई का पीजीआई जनता का है, जनता के पैसे से बना है तथा जनता के लिए है।
उपेक्षा क्यों?
पूर्व CM अखिलेश का नहीं जनता का है पैसा, फिर भेदभाव क्यों? | |
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News & Politics | Upload TimePublished on 3 Sep 2019 |
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